खिलौने बनाने का बिज़नेस कैसे करें | Toy Making Business In Hindi

बचपन में खिलौने दिलाने की जिद सभी बच्चे करते हैं, मैं भी करता था और आपने भी की होगी। वैसे हम लोग जब छोटे थे तो खिलौने अकसर ख़रीदा करते थे। तब के ज्यादातर खिलौने लकड़ी के बने होते थे। पर आज इनकी जगह प्लास्टिक के खिलौनों ने ले ली है। जो भी हो, बच्चों के लिए खिलौने नाम उनकी सबसे प्यारी चीजों में शुमार होते हैं। जहां भी कोई नया खिलौना देख लिया, उसकी डिमांड कर बैठते हैं कि बस ये तो मुझे चाहिए ही। ऐसे में आज के समय में भी खिलौने बनाने का बिज़नेस बहुत ही ज्यादा प्रॉफिटेबल बिज़नेस है। इसलिए इस लेख को आप अंत तक पढियेगा, ताकि आप खिलौने बनाने का बिज़नेस को पूरी तरह से समझ पाइयेगा।

खिलौने का बिज़नेस कितना बड़ा है?

इसी डिमांड और सप्लाई का हिस्सा बनकर खिलौने बनाने वाली कंपनियां और मैन्युफैक्चरर्स लाखों का बिजनेस कर रहे हैं। भारत में खिलौने प्राचीन काल से इस्तेमाल हो रहे हैं। सिंधु सभ्यता की खुदाई में भी मिट्टी के बने खिलौने मिले थे और आज इंडियन टॉय इंडस्ट्री 1.23 बिलियन डॉलर की हो गई है और इसकी ग्रोथ भी 12 परसेंट रेट से हो रही है। तो इस करोड़ों की कमाई देने वाली इंडस्ट्री में अगर आप भी अपना बिजनेस शुरू करना चाहते हैं तो इस लेख को अंत तक जरूर पढियेगा।

खिलौने बनाने के लिए किन रॉ मटेरिअल की जरूरत पड़ती है?

  • खिलौने बनाने के लिए रॉ मटीरियल के हिसाब से आपको फूड ग्रेड वाले एबीएस, प्लास्टिक ग्रेन्युल, पीवीसी ग्रैनी, एडिटिव्स और पेंट एंड पैकेजिंग मटीरियल्स की जरूरत पड़ती है।
  • अगर आपको अपने शहर या राज्य में रॉ मटीरियल सप्लाई करने वाले मिल गए तो बहुत अच्छी बात है, नहीं तो आप ऑनलाइन भी सर्च कर सकते हैं।
  • इसके अलावा आपको खिलौना बनाने के लिए मशीन की जरूरत पड़ेगी, अलग – अलग तरह की खिलौने के लिए अल – अलग प्रकार की रॉ मटेरिअल की जरूरत पड़ती है।
  • आपको बता दे की खिलौना कई प्रकार के होते हैं, कुछ खिलौने इलेक्ट्रिक होते हैं, कुछ प्लास्टिक के होते हैं, कुछ लकड़ी के होते हैं, तो कुछ खिलौने मिटटी के होते हैं।
  • इन अलग – अलग खिलौने के प्रकार के देखते हुए अलग – अलग प्रकार की मटेरिअल का इस्तेमाल होता है। इसलिए आप पहले यह सुनुश्चित कर ले की आप किस प्रकार के खिलौने का बिज़नेस स्टार्ट करना चाहते हैं।

खिलौनों को एक्सपोर्ट कैसे करें?

और अब बात करते हैं एक्सपोर्ट की। अपने बनाए हुए खिलौनों की डोमेस्टिक सेल सप्लाई के बाद आप उन्हें एक्सपोर्ट भी कर सकते हैं। खिलौनों की डिमांड पूरी दुनिया में रहती है। अगर आप इंटरनैशनल मार्केट के हिसाब से प्रोडक्शन कर रहे हैं, तो साउथ एशिया, मिडल ईस्ट, यूरोप, अफ्रीका में भी एक्सपोर्ट कर सकते हैं। फाइनेंशियल ईयर 2016 में इंडिया ने 18.92 बिलियन रुपए के टॉयज गेम्स, स्पोर्ट्स इक्विपमेंट एक्सपोर्ट किए थे। आप अपने खिलौने को भारत से लेकर पूरी दुनिया में एक्सपोर्ट कर सकते हैं। इसके लिए आपको इंटरनेट पर Toy Distributor Company से संपर्क करना पड़ेगा।

खिलौने बनाने के बिज़नेस में कंपनी रजिस्ट्रेशन कैसे करें?

खिलौने का कारोबार करने के लिए सबसे पहले आपको प्राइवेट लिमिटेड कंपनी रजिस्टर करवानी चाहिए और कंपनी का नाम भी ऐसा होना चाहिए जो किसी दूसरी कंपनी से मेल न खाए और कंपनी के नाम में आपका काम पता चलना चाहिए। इसके अलावा भी आपको ट्रेड लाइसेंस, जीएसटी रजिस्ट्रेशन, फायर सेफ्टी एनओसी जैसे पेपर वर्क करवा लेने चाहिए। अपनी फैक्ट्री में आग बुझाने का इंतजाम जरूर से रखिएगा, क्योंकि प्लास्टिक मटेरियल्स में आग लगने की बहुत ज्यादा पॉसिबिलिटी होती है।

खिलौना बनाने के बिज़नेस के लिए लोन कैसे लें?

अगर आपके पास बिजनेस शुरू करने के लिए जरूरी कैपिटल नहीं है तो बिजनेस लोन के लिए भी अप्लाई कर सकते हैं। अपना बिजनेस बढ़ाते हुए अगर आप खिलोनों का एक्सपोर्ट शुरू करेंगे तो इसके लिए आपको डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ फॉरेन ट्रेड, मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री गवर्मेंट ऑफ इंडिया से इम्पोर्टर एक्सपोर्टर कोड लेना होगा, जो आप ऑनलाइन अप्लाई कर सकते हैं।

वैसे भी इंडिया में ज्यादातर सस्ते खिलौने चाइना से इंपोर्ट होते हैं, लेकिन अब इंडिया को टॉय मैन्युफैक्चरिंग में आगे बढ़ाने के लिए सेंट्रल गवर्नमेंट ने खिलौनों की मैन्यूफैक्चरिंग क्लस्टर बनाने का डिसीजन लिया है, जिसमें 23 करोड़ का खर्चा आएगा और यह मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक और तमिलनाडु में बनाए जाएंगे। इन क्लस्टर्स के बनने से भारत में लकड़ी, लाह, ताड़ के पत्ते, बांस और कपड़ों के खिलौने बनाने के काम को बढ़ावा मिलेगा। मतलब कहीं ना कहीं यह इंडियन टॉय इंडस्ट्री के लिए एक पॉजिटिव न्यूज है। वैसे भी चाइना से हमारे रिलेशन अच्छे नहीं है तो इंडियन टॉय इंडस्ट्री को इसका फायदा मिल रहा है।

खिलौने बनाने के बिज़नेस की ट्रेनिंग कैसे लें?

अगर टॉय मैन्युफैक्चरिंग एंड डिजाइनिंग की पढ़ाई करना चाहते हैं तो यह पॉसिबल है। खिलौने की वैराइटीज को देखा जाए तो मार्केट में सॉफ्ट टॉयज, एक्शन हीरो फिगर्स, आर्ट एंड क्राफ्ट बिल्डिंग, सेक्स डॉल्स गेम्स, पजल्स, इलेक्ट्रॉनिक्स, आउटडोर गेम्स और स्पोर्ट्स टॉयज मौजूद है। अगर इस इंडस्ट्री में आप आना चाहते हैं तो आपके पास क्रिएटिविटी और डिजाइन में अच्छी स्किल्स होनी चाहिए।

क्रिएटिविटी एंड यूनीक नेल्स सेंस, फन टूल्स, टेक्नीक्स कोर्स, स्विंग डेकोरेशन, फैब्रिक नॉलेज, मॉडल मेकिंग एंड मैन्युफैक्चरिंग, रिसर्च एंड इनोवेटिव स्किल्स और इलस्ट्रेशन। इन ड्रॉइंग स्किल्स अगर आप में है, तो आप इस इंडस्ट्री को ज्वाइन कर सकते हैं। अगर आप किसी भी स्ट्रीम से क्लास 12th पास है तो आप टॉय मैन्युफैक्चरिंग की पढ़ाई कर सकते हैं। इसके लिए कई तरह के एंट्रेंस एग्जाम होते हैं जैसे एनआईटी एंट्रेंस एग्जाम, ऑल इंडिया एंट्रेंस एग्जामिनेशन फॉर डिजाइन, कॉमन एंट्रेंस एग्जाम पर डिजाइन वगैरह।

एंट्रेंस के बाद आप कहीं पर पढ़ाई के लिए अप्लाई कर सकते हैं। एंट्रेंस एग्जाम पास करने के बाद आप नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी, नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ डिजाइन अहमदाबाद, आईआईटी बॉम्बे, नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी मुंबई, एमिटी यूनिवर्सिटी नोएडा, नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी बैंगलूरू जैसे इंस्टिट्यूट से टॉय डिजाइनिंग की पढ़ाई कर सकते हैं।

पढ़ाई के बाद आप प्रोडक्ट डिजाइनर, ट्रेनिंग मैनेजर और मार्केटिंग मैनेजर या कोऑर्डिनेटर का जॉब कर सकते हैं। टॉय मैन्युफैक्चरिंग रिसर्च के बारे में आप इंस्टिट्यूट फॉर इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट से संपर्क कर सकते हैं। उनकी वेबसाइट डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू डॉट आईआईटी डॉट ओआरजी डॉट इन पर विजिट कर सकते हैं। आईआईटी गवर्मेंट ऑफ इंडिया मिनिस्ट्री ऑफ माइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज से असोसिएटेड है। यहां से बिजनेस सेटअप करने की सारी गाइडलाइन्स और एक्सपोर्ट एडवाइस पा सकते हैं।

खिलौना बनाने के बिज़नेस में कितना इन्वेस्टमेंट लगेगा?

यहाँ पर सबसे पहले आपको यह समझना होगा की आप किस प्रकार का खिलौना बनाने चाहते हैं। मैं आपको बता दूँ की खिलौने के कई प्रकार होते हैं, जैसे लकड़ी के खिलौने, सॉफ्ट टॉयज के खिलौने, इलेक्ट्रिक खिलौने, प्लास्टिक के खिलौने, बच्चो की खिलौने, मिटटी के खिलौने। यहाँ तक अगर हम मिटटी के खिलौने के प्रकार के भी बात करें तो इसमें भी कई प्रकार के खिलौने होते हैं। इसलिए आप पहले कुछ खिलौने के वैरायटी को समझ ले, और उसे चुन ले की आपको किस प्रकार के खिलौने बनाने हैं।

  • अगर आपको बच्चो की डॉल या फिर प्लास्टिक के गुड़िया के खिलौने बनाएंगे तो इसमें मशीन और सभी रॉ मटेरिअल की कीमत आएगी – 25000 रूपये मशीन की कीमत और रॉ मटेरिअल की 10000 रूपये।
  • वही आप इलेक्ट्रिक खिलौने बनाते हाँ जैसे की इलेक्ट्रिक कार की तो आपको इसमें 70000 रूपये का खर्च लगेगा जिसमे आप सैकड़ो इलेक्ट्रिक गाड़िया बना सकते हैं।
  • वहीँ अगर आप सॉफ्ट तोय का बिज़नेस स्टार्ट करेंगे तो इसमें इन्वेस्टमेंट और भी कम यानी 10000 रूपये बजट में ही आप इस बिज़नेस को स्टार्ट कर सकते हैं।
  • इसके अलावा अगर आप मिटटी के खिलौने का बिज़नेस को स्टार्ट करते हैं तो आपको सबसे कम इन्वेस्टमेंट लगेगा, जिसमे आप 1000 रूपये के कम बजट से भी स्टार्ट कर सकते हैं। 

हालाँकि आज के समय में इलेक्ट्रिक खिलौने के बहुत ही ज्यादा चलन है। इसलिए आगे लेख में मैं आपको हर एक प्रकार की अलग – अलग खिलौने की वैरायटी के बारे में, की उस बिज़नेस को कैसे स्टार्ट करे के बारे में लेख लेकर आएंगे। हमारा यह लेख आपको अच्छा लगा हो तो आप इसे अपने दोस्तों के साथ में जरूर शेयर कीजियेगा और अगर आपको कोई सवाल हो तो हमे कमेंट कर के जरूर बताइयेगा। हमारा यह लेख को पढ़ने के लिए आपका बहुत – बहुत धन्यवाद।

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