मोती की खेती कैसे शुरू करे | How to start pearl farming business in hindi

आजकल मोती कि खेती का चलन भी बहुत तेजी से बढ़ते जा रहा है, और इसके जरिये मुनाफा भी बहुत ज्यादा मिलता है | पहले मोती की खेती का प्रशिक्षण सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ फ्रेश वाटर एक्वाकल्चर, भुवनेश्वर (ओडिशा) में दिया जाता था, लेकिन अब कई अन्य संस्थान राज्य में प्रशिक्षण प्रदान कर रहे हैं।

आप अपने स्थान के आधार पर इन्टरनेट कि मदद से उस प्रशिक्षण संस्थान को खोज सकते हैं और संभावना है कि आपको इसके संबधित कई प्रकार कि जानकारी आसानी से मिल जाएगी | लेकिन आज हम आपको इस आर्टिकल में मोती कि खेती / Pearl Farming के बारे में पूरी जानकारी देंगे, जिसके जरिये आप आसानी से समझ सकते है कि मोती कि खेती से आप business कैसे कर सकते है |

मोती कि खेती क्या है | What is a Pearl Farming :

 मोती को एक प्राकृतिक रत्न माना जाता है और यह एक मोलस्क द्वारा निर्मित होता है। मोती हमारे लिए उपलब्ध सबसे सुंदर रत्न हैं और उनकी आश्चर्यजनक सौंदर्य सुंदरता यही कारण है कि वे दुनिया भर में इतने लोकप्रिय हैं और ये मोती बाजार में अच्छी कीमत पर बेचे जाते हैं।

 पर्ल सीप की खेती और उत्पादन दुनिया के कई देशों में की जाती है। हालांकि, महत्वपूर्ण उत्पादन कुछ देशों तक ही सीमित है। 20वीं सदी की शुरुआत के बाद से मोती की खेती एक लंबा सफर तय कर चुकी है और खुदरा स्तर पर एक अरब डॉलर के उद्योग में बदल गई है, और जब दुनिया में मोती उत्पादन की बात आती है तो चीन इस सूची में सबसे ऊपर है।

मोती मूल रूप से 8 आकार में उपलब्ध हैं; गोल, अर्ध-गोल, बटन, ड्रॉप, नाशपाती, अंडाकार, बारोक, गोलाकार, और डबल बोल्डर। हालांकि, बिल्कुल सही गोल आकार के मोती अधिक मूल्यवान होते हैं।

मोती रासायनिक रूप से कैल्शियम कार्बोनेट और कोंचियोलिन नामक प्रोटीन से बनता है। लार्वा के जन्म से एक अच्छी गुणवत्ता वाली मोती बनने में लगभग एक वर्ष या उससे अधिक समय लगता है। इसकी दुर्लभता और सामग्री ही मोती को गहनों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनाती है। मोती की खेती को आसान बनाने के लिए कई प्रकार के प्रयास किये जा रहे है |

तो वही बात कि दुसरे प्रकार कि तो इसमें हमें यह मोती कृत्रिम रूप से मिलती है यानी कि मानव के द्वारा बनाया जाता है |

ये मोती आखिर कहाँ से आते हैं? अब सामान्य रूप से देखा जाये तो यह मोती हमें दो प्रकार से मिलती है पहली जो कि पूर्णतः प्राकृतिक होती है यानी कि हमें यह मोती या तो जंगलो से मिलती है या फिर यह मोती हमें समुन्द्र के अंदर से मिलती है |

मोती कि खेती के फायदे:

मोती की खेती या Pearl farming का मुख्य लाभ उच्च बाजार मूल्य है। इसके अलावा, इसके जरिये जो अंतिम उत्पाद या फिर कहें जो मोती आता है वह हल्का और खराब नहीं होने वाला है। मोती की खेती का सबसे अच्छा हिस्सा ग्राफ्टिंग प्रक्रिया को छोड़कर है, मोती की खेती अपेक्षाकृत सरल जलीय कृषि व्यवसाय है क्योंकि मोती को कृत्रिम फ़ीड (विशेष रूप से समुद्री आहार) की आवश्यकता नहीं होती है। 

उच्च बाजार मूल्य

उच्च गुणवत्ता वाले मोतियों का मूल्य लाखों रूपये में हो सकता है, जिससे यह एक उच्च-लाभ वाला व्यवसाय बन जाता है। एक बार जब इसे निकाला जाता है और पहनने योग्य आभूषण में डाल दिया जाता है, तो यह और भी अधिक मूल्यवान हो जाता है, जो कई लोगों को मोती की खेती में आकर्षित करते हैं।

अंतिम उत्पाद:

मोती की खेती की फसल में प्राप्त अंतिम उत्पाद हल्के और चमकदार रत्न हैं जिनका उपयोग गहने और अन्य आभूषण बनाने में किया जाता है। अत्यधिक सावधानियों और उचित न्यूक्लियेशन के बाद, बेहतर गुणवत्ता और आकार के मोती प्राप्त किए जा सकते हैं, जिन्हें किसी भी अवधि के लिए संग्रहीत किया जा सकता है यानी कि जो उत्पाद हमें प्राप्त होता है, उसके खराब होने का कोई खतरा नहीं होता है | 

रोजगार के अवसर:

मोती की खेती के सबसे महत्वपूर्ण लाभों में से एक रोजगार के अवसर पैदा करना है। खेती से लेकर अंतिम उत्पाद तक मोती के कारोबार ने हजारों लोगों को आजीविका प्रदान की है और यह अभी भी बढ़ रहा है। जब तक आभूषण उद्योग जीवित है, यह दुनिया भर में अधिक से अधिक लोगों को कई रोजगार प्रदान करेगा।

पर्यावरण के अनुकूल:

मोती कि खेती करने से कई प्रकार के लाभ तो मिलते ही है, परन्तु लाभ के अलावा, मसल्स और सीप का एक महत्वपूर्ण प्लस पॉइंट जल संसाधनों को साफ करने की उनकी क्षमता है। कुछ हजार सीप सैकड़ों गैलन पानी को साफ कर सकते हैं और अशुद्धियों को दूर कर सकते हैं। इस जलीय कृषि की पर्यावरण के अनुकूल प्रकृति भी लोगों को रूचि देती है।

अब मोती कि खेती या फिर Pearl farming के बारे में समझने के बाद ये समझते है कि आखिर आप मोती कि खेती का business कैसे करें

मोती कि खेती का business कैसे करें:

जिस प्रकार अलग अलग प्रकार के फसलों कि खेती अलग अलग प्रकार के मौसम में किया जाता है ठीक उसी प्रकार मोती कि खेती करने के लिए भी सबसे बढिया और अनुकूल मौसम शरद ऋतु यानी कि अक्टूबर से दिसंबर को माना जाता है, आप मोती कि खेती करने के लिए कम से कम 10 x 10 फीट या उससे बड़े तालाब का उपयोग कर सकते है |

मोती के खेती करने के लिए आप 0.4 हेक्टेयर जैसे छोटे तालाब में भी 25000 सीपों तक कि मदद से मोती का उत्पादन कर सकते है,  इस कार्य के हिस्से के रूप में, नदियों और तालाबों जैसे मीठे पानी के निकायों से स्वस्थ मसल्स एकत्र किए जाते हैं। इन मसल्स को मैन्युअल रूप से एकत्र किया जाना चाहिए और पानी के साथ कंटेनर/बर्तन/बाल्टी में रखा जाना चाहिए।

प्री-कल्चर (ऑपरेटिव) कंडीशनिंग:

मसल्स या सीप को इकट्ठा करने के बाद, उन्हें 2-3 (2 या 3 दिन) दिनों के लिए प्री-कल्चर कंडीशनिंग के लिए तैयार किया जाना चाहिए,  

प्रत्येक सीप में एक छोटे ऑपरेशन के बाद, 4 से 6 मिमी व्यास के साधारण या डिज़ाइन किए गए मोतियों जैसे गणेश, बुद्ध, फूलों की आकृतियों से बने मनके में प्रत्येक सीप को डाल दिया जाता है । फिर उसके बाद सीप को बंद कर दिया जाता है।
 
 इसके बाद इन सीपो को नाइलोन की थैलियों में 10 दिनों तक तक रखा जाता है, इस बीच उन्हें एंटीबायोटिक के साथ साथ प्राकृतिक आहार भी दिया जाता है और इसके साथ ही उनका निरिक्षण भी किया जाता है, यह प्री-कल्चर कंडीशनिंग सर्जरी के दौरान मसल्स को आसानी से संभालने में मदद करती है।

मीठे पानी में मोती की खेती में तालाब की खेती:

अब इसके पश्चात इन सीपो को तालाब में डाल दिया जाता है, जहाँ उन्हें बांस या बोतल का उपयोग करके नायलॉन बैग में लटका दिया जाता है, जब मसल्स को खिलाने की बात आती है, तो उन्हें आमतौर पर शैवाल, गाय का गोबर और मूंगफली खिलाया जाता है, जिसके बाद अंदर से आने कुछ विशेष प्रकार कि सामग्री मनके के चरों तरफ जमने लगती है, जो अंत में मोती का रूप धारण कर लेती है। लगभग 8-10 महीनों के बाद, सीप के जरिये से मोती को निकाल दिया जाता है।

मोती की खेती में लागत और लाभ:

अगर बात करें मोती कि खेती करने में कितनी लागत आती है, तो एक सीप की कीमत लगभग 20 से 30 रुपये तक होती है, तो वही लाभ कि बात करें तो बाजार में एक मिमी से 20 मिमी के सीप मोती की कीमत लगभग 300 रुपये से 1500 रुपये है। आज के समय में मोती का व्यापार में लाभ का बढना स्वभाविक है क्योंकि डिजाइनर मोतियों को बहुत पसंद किया जाता है, और इससे बाजार में अच्छी कीमत मिल जाती है इसके साथ ही अगर आप विदेशी बाजार में मोतियों का निर्यात करते है, तो इससे आपके लाभ अर्जित और अधिक हो जाती है |

अब आप पूरी तरीके से समझ चुके है कि आप मोती कि खेती का business कैसे शुरू कर सकते है, परन्तु ध्यान देनी वाली बात यह है कि किसी भी कार्य को शुरू करने से पहले उस कार्य कि अच्छी तरह से समझ के साथ साथ हमें प्रैक्टिस भी करना होता है, जिससे हमें भविष्य में किसी भी प्रकार कि समस्या का सामना न करना पड़े, इसी समस्या को दूर करने के लिए Pearl Farming के लिए training मुहैव्या करवाया जाता है.

भारत में मोती की खेती का प्रशिक्षण (Pearl farming training in India):

चलिए देखते है कि हमारे देश और कौन कौन से जगह है जहाँ यह training मिलती है |

भारत में मोती कि खेती के लिए दिए जाने वाले प्रशिक्षण केन्द्रों के नाम:

  • मराठवाड़ा मोती Culture (MOTI) और प्रशिक्षण केंद्र (औरंगाबाद) : मराठवाड़ा मोती प्रशिक्षण केंद्र शुरू करने के लिए एक शानदार जगह है। यह संस्थान अल्पकालिक मोती प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रदान करता है, जहाँ आप मोती प्रशिक्षण से शुरू होकर, मोती कैसे पैदा करें आदि महत्वपूर्ण जानकारी ले सकते है |
  • Freshwater Pearl Farming Training Institute: जयपुर स्थित पर्ल कल्चर ट्रेनिंग एंड रिसर्च सेंटर है। सेंट्रल मरीन फिशरीज रिसर्च इंस्टीट्यूट ने भारत में Freshwater Pearl Farming Training Institute को बनाया और बाद में उन्होंने कई राज्य सरकारों के प्रायोजन के तहत उम्मीदवारों को पर्ल कल्चर प्रशिक्षण देना शुरू किया। जब उन्होंने पहली बार भारत में मीठे पानी में मोती की खेती का प्रशिक्षण देना शुरू किया, तो यह छह महीने का कोर्स था। बाद में, चार से छह सप्ताह के प्रशिक्षण के साथ पाठ्यक्रम को बदल दिया गया।
  • Indian Pearl Farm & Training Institute: भारतीय पर्ल फार्म और प्रशिक्षण संस्थान द्वारा प्रस्तुत प्रशिक्षण कार्यक्रमों से छोटे और मध्यम किसान लाभान्वित हो सकते हैं। यह 10 से 15 दिवसीय मोती संवर्धन प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रदान करता है।
  • इसके साथ ही और भी बहुत सारे Pearl farming training institues जहाँ आप आसानी से मोती कि खेती कि training प्राप्त कर सकते है |

मोती की खेती शुरू करने से पहले ध्यान देने योग्य मुख्य बातें:

मोती की खेती शुरू करने से पहले निम्नलिखित तथ्यों और प्रमुख बिंदुओं पर ध्यान देना चाहिए:

  • मोती की खेती में इस क्षेत्र में सफल होने के लिए समय, धन और कड़ी मेहनत के दीर्घकालिक निवेश की आवश्यकता होती है।
  • अधिक लाभ के लिए उच्च गुणवत्ता वाले मोतियों का उत्पादन महत्वपूर्ण है।

उच्च गुणवत्ता वाले मोती का उत्पादन कैसे करें:

  • मोती सीप का एक विश्वसनीय स्रोत
  • एक उपयुक्त स्थान/साइट
  • पर्ल फार्म की स्थापना और संचालन के लिए पर्याप्त धन/निवेश
  • ग्राफ्टिंग तकनीशियन
  • मोतियों का सही तरीके से प्रोसेस करने की क्षमता
  • विश्वसनीय स्रोत की आवश्यकता : मोती के खेत के मालिक होने की मुख्य आवश्यकता विभिन्न आदानों की आपूर्ति है, जिसमें तकनीशियन शामिल हैं जो ग्राफ्टिंग में विशेषज्ञ हैं। ये इनपुट बुनियादी आवश्यकता हैं, जिसके बाद बुवाई की एक लंबी और समय लेने वाली प्रक्रिया शुरू होती है।
  • प्रारंभिक निवेश : इस व्यवसाय को शुरू करने के लिए प्रारंभिक निवेश महंगा नहीं है, लेकिन फिर भी महत्वपूर्ण है, चूंकि लाभ लंबे इंतजार के बाद मिलता है, इसलिए इसे बिना किसी प्रारंभिक या मध्य रिटर्न के 2-3 वर्षों के लिए प्रारंभिक निवेश की आवश्यकता होती है।

अभी तक आपने समझा कि कैसे हम Pearl farming क्या है और मोती कि खेती के जरिये होने वाली फायदे क्या है तो चलिए अब समझते है कि मोती की खेती के नुकसान क्या हो सकते है

मोती की खेती के नुकसान:

मोती की खेती में कई जोखिम शामिल हैं: बीज बोने की प्रक्रिया के दौरान 50% से अधिक जीव मारे जाते हैं, और रत्नों का एक बड़ा हिस्सा बेहतरीन गुणवत्ता का नहीं होता है। चूंकि उत्पादन अवास्तविक है,इसीलिए इस व्यवसाय में शामिल जोखिम बहुत अधिक है, और इससे जुड़े जोखिम को कम करने के लिए उचित योजना की आवश्यकता है।

मार्केटिंग:

मोतियों को बेचने और खरीदने के लिए एक उचित मार्केटिंग चैनल की आवश्यकता होती है और किसानों के लिए यह एक कठिन काम हो सकता है। इसलिए इस व्यवसाय को शुरू करने से पहले, आवश्यक मात्रा में मोतियों की कटाई के साथ उचित शोध की आवश्यकता होती है।

तो आज आप इस आर्टिकल में समझा मोती कि खेती क्या है (What is a Pearl Farming in Hindi), मोती कि खेती का व्यापार कैसे शुरू करें, इसके जरिये होने वाले लाभ-हानि और इसके साथ ही भारत में वह कौन सी Training Institutes है जहाँ से आप मोती कि खेती करने कि प्रक्रिया का पूरी तरीके से प्रशिक्षण ले सकते है, उम्मीद करते है आपके लिए यह जानकारी लाभदायक होगी |

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