मोजे बनाने का बिजनेस कैसे शुरू करें | Socks manufacturing business Hindi

मोजे व्यापक रूप से उपयोग की जाने वाली वस्तुओं में गिने जाते हैं। पुरुष, महिलाएं, बच्चे और यहां तक कि मां-बाप अपने शिशुओं के प्रोटेक्शन के पर्पज से भी मोजे का इस्तेमाल करते हैं। कभी कभी ऐथलीट और खिलाड़ियों के द्वारा कुछ विशेष तरह के मोजों का भी प्रयोग किया जाता है। कई इंडस्ट्रीज में मोजे वर्कर्स के लिए एक सुरक्षा परिधान की तरह हैं।

सामान्यतया मोजे कई तरह के डिजाइन, पैटर्न,  रंग और साइज के होते हैं। कॉटन यार्न, एक्रिलिक यार्न, पॉलिएस्टर यार्न और विभिन्न प्रकार के नायलॉन यार्न तथा विभिन्न प्रकार के रंगों का उपयोग करके अलग-अलग डिजाइन और साइज के मोजे तैयार किए जा सकते हैं। आजकल महिलाओं के लिए भी कई तरह के मोजे उपलब्ध हैं जैसे की नायलॉन सॉक्स,  ट्राउज़र सॉक्स, स्लाउच सॉक्स, नी-हाई सॉक्स, टो सॉक्स इत्यादि।

बड़े स्तर पर मोजे मुख्यतः दो अलग अलग फाइबर्स से बनाए जाते हैं। पहला है कॉटन और दूसरा नायलॉन। कभी कभी ठंड से बचने के लिए ऊनी मोजो का भी इस्तेमाल किया जाता है। सॉक्स मैन्यूफैक्चरिंग बिजनेस एक प्रॉफिटेबल बिजनेस है जिसे कोई भी व्यक्ति छोटे या फिर मीडियम स्केल पर शुरू कर सकता है।

मार्केट रिसर्च

विस्तृत और डिटेल्ड मार्केट रिसर्च आपके बिजनेस को सक्सेसफुल बनाने में बहुत बड़ा योगदान दे सकती है। क्योंकि अगर आप कोई भी बिज़नेस बिना गहन अध्ययन किए शुरू करते है तो आपको जबरदस्त फेलियर झेलना पड़ सकता है। मार्केट रिसर्च से आपको ढेर सारी बातें जानने को मिलेंगी जो कि आपके बिज़नेस के लिए जरूरी हैं। जैसे कि

  • आप मार्केट ट्रेंड्स को जानेंगे।
  • पोटेंशियल कस्टमर्स को समझ पाएंगे।
  • आप क्लाइंट्स को हैंडल करना सीखेंगे।
  • आप सीखेंगे कि बिजनेस को कैसे सेट करना है।
  • आप फंड का अंदाज़ा लगा पाएंगे।
  • आपको पता चलेगा की कच्चा माल कहां से लेना है।

सॉक्स मैन्यूफैक्चरिंग बिजनेस के बारे में सब कुछ जानने के लिए मार्केट इनसाइट लेना अत्यंत आवश्यक है। इसलिए बिजनेस प्लान तैयार करने से पहले मार्केट रिसर्च जरूर करें।

डिमांड

पिछले कुछ वर्षों में ऐसे मोजे भी देखने को मिले हैं जो किसी स्पेशल पर्पज के लिए यूज किए जाते हैं। इन सभी बातों के चलते मोजे अब कमोडिटी आइटम न रहकर फैशन गुड्स में बदल गए हैं। फैशन गुड्स में बदलने के कारण मोजो के बाजार की ग्रोथ अब कपड़ा उद्योग के ओवरऑल ग्रोथ से भी आगे निकल गई है।

लगभग 70% पुरुष हर रोज़ मोजे का इस्तेमाल करते हैं। इसलिए उम्मीद है की आने वाले दिनों में मेंस अपैरल इंडस्ट्री सॉक्स इंडस्ट्री के ग्रोथ में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। अगर बात करे एथेलेटिक सॉक्स की तो ये मोजो के बाजार का सबसे बड़ा प्रॉडक्ट सेगमेंट हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि एथेलैटिक सॉक्स कई जगह प्रयोग किए जाते हैं जैसे की स्पोर्ट्स, जिम,  इत्यादि।

विकासशील अर्थव्यवस्थाओं जैसे चीन, ब्राज़ील और भारत में रिटेल नेटवर्क के विस्तार में सॉक्स इंडस्ट्री के ग्रोथ का बहुत बड़ा योगदान है। इन सभी देशों में बढ़ती आबादी और डिस्पोजेबल इनकम रिटेल सेक्टर को बढ़ावा देती है जिसके परिणामस्वरूप सॉक्स की मांग भी बढ़ती जा रही है। इसलिए हम निष्कर्ष निकाल सकते हैं की सॉक्स मैन्यूफैक्चरिंग बिजनेस शुरू करना आपके लिए एक प्रॉफिटेबल बिजनेस साबित हो सकता है।

बिज़नेस प्लान

एक प्लैन्ड बिजनेस के सफल होने की संभावना किसी अनप्लैन्ड बिज़नेस से कही अधिक होती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि जब आप कोई काम पूरी प्लैनिंग के साथ शुरू करते हैं तो आपको आने वाली चुनौतियों से कैसे निपटना है ये पता होता है। साथ ही आप उस बिज़नेस से रिलेटेड सभी बातों का ध्यान रखते हैं।

जबकि अनप्लैन्ड बिज़नेस के केस में इन सभी चीजों की कमी होती है और इसी के चलते उसके असफल होने की संभावना काफी अधिक होती है। इसलिए किसी भी बिजनेस को स्टार्ट करने से पहले उसकी प्रॉपर प्लैनिंग अवश्य करें।

सॉक्स मैन्यूफैक्चरिंग बिजनेस शुरू करने से पहले भी आपको इन्हीं सब बातों का ध्यान रखना है। अपना बिजनेस प्लान तैयार करते समय आपको खुद से ये प्रश्न पूछने हैं:

  • आपके बिजनेस का नाम क्या होगा ?
  • आपके बिजनेस की लोकेशन क्या होगी ?
  • आपका टारगेट कस्टमर कौन होगा ?
  • आप कच्चा माल कहा से लाएंगे ?
  • आप फंड कहा से लाएंगे ?
  • आप बिजनेस को बड़े स्तर पर कैसे ले जाएंगे ?

ये सभी बातें किसी भी बिजनेस के कुछ बुनियादी पहलू हैं जो आपको अपने बिजनेस को सफल बनाने के लिए समझने होंगे। जब भी आप प्रॉपर प्लैनिंग के साथ आगे बढ़ते हैं तो आप हर एक कदम फूक-फूक कर रखते हैं। इसलिए सॉक्स मैन्यूफैक्चरिंग बिजनेस के लिए भी एक प्रॉपर प्लान तैयार करें।

लोकेशन

किसी भी बिजनेस को शुरू करने से पहले सही लोकेशन का चुनाव करना बहुत ही ज़रूरी है क्योंकि ये आपके बिजनेस को सफल या असफल बनाने का दम रखता है। किसी ऐसे लोकेशन का चयन करें जो आपको आपके टारगेट कस्टमर की नज़र में लाए और उसमें पर्याप्त स्पेस भी हो ताकि आप मशीनों को स्थापित कर सकें और तैयार माल को भी रख सकें।

लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन

सॉक्स मैन्यूफैक्चरिंग बिजनेस शुरू करने के लिए आपको इन सभी लाइसेंसों की जरूरत पड़ेगी।

  • अपनी लोकल अथॉरिटी से ट्रेड लाइसेंस प्राप्त करें।
  • ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन के साथ साथ अपने बिजनेस के नाम से एक पैन कार्ड भी बनवा लें।
  • उद्योग आधार बनवाए।
  • जीएसटी रजिस्ट्रेशन करवाए।
  • बीएसआई सर्टिफिकेशन प्राप्त करें। भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा निर्धारित कॉटन सॉक्स के लिए आईएस 3329:1973  और नायलॉन सॉक्स के लिए आईएस 5084:1990 ।
  • अगर आप एक्सपोर्ट करने वाले हैं तो आईईसी नंबर के लिए अप्लाई करें।

उपकरण

  • सॉक्स निटिंग मशीन
  • ओवरलॉक मशीन
  • रोटर कैबिनेट
  • गारमेंट वाशिंग मशीन
  • हाइड्रोएक्सट्रैक्टर
  • ड्रायर टंब्लर
  • वाशरूम ट्रॉली
  • स्टीम प्रेस

ऑटोमैटिक सॉक्स मेकिंग मशीन

अगर आप मैन्यूफैक्चरिंग प्रोसेस को ऑटोमेट करना चाहते हैं तो आप इस मशीन का यूज कर सकते हैं। इससे आपके सॉक्स की क्वॉलिटी काफी इंप्रूव होगी। इस मशीन की कुछ ख़ास बाते हैं जैसे कि –

  • एक मुख्य फीडर के साथ साथ पांच पैटर्न फीडर।
  • एक कोर्स में 6 कलर्स और एक ही मोजे में 16 अलग-अलग कलर्स का इस्तेमाल करने की कैपेबिलिटी।
  • ड्रमलेस, पूरी तरह से कंप्यूटराइज्ड कंट्रोल सिस्टम।
  • हाई स्पीड के लिए एक्सक्लूसिव इनर कैम ब्लॉक सिस्टम।
  • स्टिच कैम कंट्रोल और इलास्टिक यार्न के लिए स्टेपिंग मोटर।
  • इलेक्ट्रो निमेटिक यार्न फिंगर और कैम कंट्रोल।
  • 1500  कोर्सेज तक पैटर्न डेप्थ।
  • त्रुटियों से बचने के लिए एक से अधिक स्टॉप मोशन सेंसर।
  • ऑटोमैटिक रीसाइक्लिंग ऑयल,  काउंटर और रीसेट फंक्शन।
  • पूरी तरह से एसी सर्वो मोटर पर आधारित।
  • मिनिमाइज्ड और आसान ऑपरेटिंग फंक्शन।
  • स्टोर्ड प्रोग्राम को सुरक्षित रखने के लिए एडोप्टेड बैटरी बैकअप।
  • कंटीन्यूअस निटिंग का सपोर्ट करने और प्रोग्राम की मेमोरी को बनाए रखने के लिए इंटर्नल यूपीएस का इस्तेमाल।
  • निटिंग कंडीशंस जैसे की रॉ मैटेरियल की डेंसिटी, लंबाई,  स्पीड, माप, ग्राफ आदि के लिए ग्राफिक एलसीडी का उपयोग
  • स्टॉकिंग टो और हील को स्थिर बनाए रखने के लिए डबल पिकर प्वाइंट और डबल डाउन पिकर प्वाइंट की तकनीक का इस्तेमाल।
  • टूटे हुए धागे और टूटी हुई सुई को डिटेक्ट करने के लिए ऑटो टेस्टिंग एरर सेंसर का इस्तेमाल।

रॉ मैटेरियल्स

आपको कच्चा माल किसी भरोसेमंद मैन्युफैक्चरर से ही खरीदना चाहिए। क्योंकि आपके मोजों की क्वालिटी यार्न की क्वॉलिटी पर निर्भर करती है।

आपको अलग अलग तरह के यार्न जैसे की एक्रिलिक यार्न, नायलॉन यार्न, इलास्टिक यार्न इत्यादि। इसके अलावा धोने के लिए डिटर्जेंट और पैकेजिंग के लिए कुछ बॉक्सेस और पॉलीथिन।

प्रॉसेस

  • स्टेप 1 : सबसे पहले निटिंग के लिए मोजो की डिज़ाइन, कलर और साइज़ तय करें और फिर मशीन सेलेक्ट करके उसे अपने अनुसार सेट करें।
  • स्टेप २ : मशीन को आवश्यक साइज कलर और डिजाइन के अनुसार सेट करने के बाद क्रेल असेंबली में बॉबिन स्टैंड पर चुने गए रंग के धागे लोड करें और उसे मशीन के निटिंग एलिमेंट में फीड करें।
  • स्टेप ३ : शुरुआती चरण में इलास्टिक वाले पोर्शन की बुनाई करें। ध्यान रहे ऐसा करते वक्त इलास्टिक यार्न का ही प्रयोग करें। पहले पैर से लेकर एड़ी और फिर एड़ी से लेकर पैर के अंगूठों तक बुनाई करें और ओवरलॉक मशीन की मदद से दोनों हिस्सों को आपस में जोड़ दे।
  • स्टेप ४ : इसके बाद मोजों को हल्के डिटर्जेंट वाली सॉक्स वाशिंग मशीन में धोने के लिए भेज दिया जाता है।
  • स्टेप ५ : धोने के बाद मोजों से अतिरिक्त पानी निकालने के लिए उन्हें हाइड्रोएक्सट्रैक्टर में चार्ज करते हैं और ड्रायर टंब्लर में सूखने के लिए छोड़ देते हैं।
  • स्टेप ६ : सूखने के बाद इनका विजुअल एग्जामिनेशन किया जाता है ताकि इनमे उपस्थित दोष को दूर किया जा सके। इसके बाद झुर्रियों को दूर करने और प्रॉपर शेप देने के लिए इन्हें इस्त्री किया जाता है और पैकेजिंग के लिए भेज दिया जाता है।

पैकेजिंग

सॉक्स को प्रेस करने के बाद इनके ऊपर मैनुअल लेबल लगाया जाता है जिसके बाद इन सॉक्स की बॉक्सेस में पैकेजिंग की जाती है। आप चाहे तो ट्रांसपेरेंट पॉलीथिन कवर का इस्तेमाल भी कर सकते हैं। पैकेजिंग के बाद आप इन्हें बड़े करगेटेड (नालीदार) बॉक्स में पैक करके मार्केट में सप्लाई कर सकते हैं।

एरिया

इस बिजनेस को छोटे स्तर पर शुरू करने के लिए आपको 1000 स्क्वायर फीट से 1200 स्क्वायर फीट एरिया की जरूरत पड़ेगी। वहीं अगर बात करें मीडियम स्केल पर इस बिजनेस को शुरू करने की तो उसके लिए आपको 3000 से 4000 स्क्वायर फीट एरिया की जरूरत होगी।

लागत

मीडियम स्केल पर इस बिजनेस को शुरू करने के लिए आपको जिन मशीनों की आवश्यकता होगी उनकी कॉस्ट लगभग 20 से 22 लाख रुपए है। वर्किंग कैपिटल मिलाकर इस बिजनेस को शुरू करने के लिए आपको 30 से 35 लाख रूपए की इन्वेस्टमेंट करनी होगी।

लेकिन अगर आप इतनी इन्वेस्टमेंट नही कर सकते तो आप इस बिजनेस को छोटे स्केल पर शुरू कर सकते हैं। इसके लिए आप सेमी ऑटोमैटिक मशीनें ले सकते हैं जिनकी कॉस्ट 7 से 10 लाख रुपए तक होगी।

प्रॉफिटेबिलिटी

रॉ मैटेरियल और कन्वर्जन कॉस्ट निकालकर आपको एक जोड़ी मोजे तैयार करने में 20 रुपए की कॉस्ट पड़ती है। इस हिसाब से अगर आप दिन में 2000 जोड़ी मोजे तैयार करते हैं और मार्केट में 25 से 30 रुपए पर जोड़ी के हिसाब से बेचते हैं तो आप पर डे 12 से 15 हज़ार रूपए का नेट प्रॉफिट अर्न कर सकते हैं।

लेकिन अगर आप छोटे स्तर पर प्रोडक्शन करते हैं और दिन में 400 जोड़ी मोजे ही तैयार करते हैं तो आप पर डे 3500 से 4000 रुपए का नेट प्रॉफिट अर्न कर सकते हैं।

इलेक्ट्रिसिटी

मीडियम स्केल वाले बिजनेस को रन करने के लिए आपको 35 से 40 किलोवॉट बिजली की जरूरत होगी। वही छोटे स्केल पर इस बिजनेस को रन करने के लिए 15 किलोवॉट बिजली की आवश्यकता होगी।

मैनपॉवर

इस बिजनेस के लिए आपको 3 स्किल्ड और 4 अन स्किल्ड लोगों की जरूरत होगी। जैसे-जैसे आपका बिजनेस आगे बढ़ेगा वैसे-वैसे आप जरूरत के हिसाब से और वर्कर्स को काम पे लगा सकते हैं।

मार्केटिंग

ज्यादा से ज्यादा कस्टमर्स तक पहुंचने के लिए आपको अपने बिज़नेस की मार्केटिंग कराना बहुत ही आवश्यक है। जब बात मार्केटिंग की आती है तो हम सभी जानते है की हम डिजिटल एरा में जी रहे हैं और लोग अपने पसंदीदा प्रोडक्ट्स ऑनलाइन खरीदना पसंद करते हैं।

इसके अलावा कोविड-19 के चलते ज्यादातर फिजिकल एक्टिविटीज पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इसलिए ऐसी खतरनाक परिस्थिति में किसी भी बिजनेस की ऑनलाइन प्रेजेंस होना अत्यंत आवश्यक हो जाता है।

ऑनलाइन प्रेजेंस के लिए आप अपने बिजनेस के लिए एक वेबसाइट बनवा सकते हैं और अपने सभी प्रोडक्ट्स उस वेबसाइट पर लिस्ट कर सकते हैं। इसके बाद बारी आती है अपने वेबसाइट को सर्च ईंजन में रैंक कराने की तो इसके लिए आप किसी एसइओ स्पेशलिस्ट की मदद ले सकते हैं।

साथ ही सभी सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर आप ऐड कैंपेन रन करवा सकते हैं। आजकल ये तरीका काफी पॉपुलर है और लगभग हर बिजनेस इस चीज का लाभ उठाता है।

फाइंड योर कस्टमर

किसी भी बिजनेस में अच्छी सेल्स जेनरेट करने के लिए अपने कस्टमर को पहचानना बहुत ही ज़रूरी है। ये सुनिश्चित करें कि आप किस तरह के कस्टमर को अट्रैक्ट करना चाहते हैं? कस्टमर्स आपकी सर्विसेज के लिए कितना पे करने को तैयार हैं? इन प्रश्नों का उत्तर ढूंढने का एक शानदार तरीका है अपने कस्टमर्स का सर्वे करना। सर्वे करते वक्त आपको नीचे दी गई बातों का ध्यान रखना चाहिए।

  • कस्टमर डेमोग्राफिक : एज, जेंडर, लोकेशन इत्यादि।
  • कस्टमर्स की बाइंग हैबिट्स : वे कब खरीदते हैं? क्या खरीदते हैं?
  • कस्टमर्स का प्राइस सेंसिटिविटी लेवल

ये सभी बातें उन कस्टमर्स को पहचानने में आपकी मदद करेंगी जिन्हें आप अट्रैक्ट करना चाह रहे हैं और फिर उसी के मुताबिक़ आप प्राइस सेट कर सकते हैं।

उम्मीद है आपको इस आर्टिकल में दी गई जानकारी पसंद आई होगी। अगर आपका इस आर्टिकल को लेकर कोई सुझाव है तो आप उसे नीचे कमेंट बॉक्स में साझा कर सकते हैं। धन्यवाद!

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